जल विद्युत(Hydro power) – सतत ऊर्जा का स्रोत
प्रस्तावना
जल विद्युत (Hydro power) ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जो पानी की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह नवीनीकरण (Renewable Energy) ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ (Sustainable) माना जाता है। विश्व भर में बिजली उत्पादन का लगभग 16% हिस्सा जल विद्युत से प्राप्त होता है, जिससे यह सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत बनता है।
भारत में भी जल विद्युत का बहुत महत्व है। देश में कई बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं चल रही है, जो राष्ट्रीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है। इस ब्लॉक में हम जल विद्युत के सिद्धांत, इसके प्रकार, लाभ, चुनौतियां और भारत में इसकी संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Table of Contents
जल विद्युत क्या है?(What is Hydro power)
जल विद्युत जिसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर (Hydroelectric power) भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें पानी की गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा (Kinetic & Potential Energy) को टरबाइन और जनरेटर की सहायता से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। यह प्रक्रिया नदियों, बांधों या जलाशय में एकत्र पानी के प्रभाव का उपयोग करके की जाती है।

जल विद्युत उत्पादन के सिद्धांत (Principle of hydro power generation)
जल विद्युत उत्पादन निम्नलिखित के चरणों में होता है:
जल संग्रहण(Water Storage): नदियों पर बांध बनाकर पानी को एकत्रित किया जाता है, जिससे एक जलाशय बनता है।
जल प्रवाह(Water Flow): जलाशय से पानी को पाइपलाइन के माध्यम से टरबाइन तक पहुंचाया जाता है।
टरबाइन घूर्णन(Turbine Rotation): पानी का दबाव टरबाइन को घुमाता है।
विद्युत उत्पादन(Electricity generation): टरबाइन से जुड़ा जनरेटर घूमकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है।
पुनः जल प्रवाह(Water Discharge): उपयोग के बाद पानी को वापस नदी में छोड़ दिया जाता है।
जल विद्युत के प्रकार (Type of hydro power plant)
जल विद्युत संयंत्रों को इसकी संरचना और कार्य प्रणाली के आधार पर विभिन्न श्रेणियां में बांटा जा सकता है:
बांध – आधारित जल विद्युत संयंत्र (Dam – Based Hydro power Plants)
यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें एक बड़े बांध का निर्माण करके पानी को रोका जाता है और फिर नियंत्रित मात्रा में टरबाइन पर छोड़ा जाता है। उदाहरण:

भाखड़ा नांगला बांध (भारत)
हूवर डैम (अमेरिका)
पंप स्टोरेज हाइड्रो पावर (Pumped Storage Hydro power)
इस प्रणाली में दो जलाशयों का उपयोग किया जाता है – एक ऊंचाई पर और दूसरा निचले स्तर पर। जब बिजली की मांग कम होती है तो पानी को निकले जलाशय से ऊपर पंप किया जाता है। बिजली की मांग बढ़ने पर इस पानी को छोड़कर बिजली उत्पन्न की जाती हैं।
रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट (Run of the river Hydro power)
इसमें बड़े बांधों की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि नदी के प्राकृतिक प्रवाह का प्रयोग किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है। उदाहरण:
नाथपा झाकरी जल विद्युत परियोजना (हिमाचल प्रदेश)
जल विद्युत परियोजना (Small hydro power plant)
छोटे पैमाने पर बनाई गई है परियोजनाएं स्थानीय ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करती हैं इसकी क्षमता आमतौर पर 25 मेगावाट से कम होती है।
जल विद्युत के लाभ (Advantage of hydro power)
जल विद्युत के कई फायदे हैं, जो इसे अन्य ऊर्जा स्रोतों से बेहतर बनाते हैं:

नवीकरणी एवं सतत ऊर्जा स्रोत (Renewal & Sustainable)
पानी एक प्राकृतिक संसाधन है जो बरसात और हिमपात के माध्यम से लगातार पुनर्भरण होता रहता है। इसलिए यह एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है।
पर्यावरण हितैषी (Environmental Friendly)
जल विद्युत संयंत्र से कोई प्रत्यक्ष हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता, जिससे यह जीवाश्म (ईंधन कोयला पेट्रोलियम) से बेहतर है।
दीर्घकालीन सस्ती ऊर्जा (Cost – Efficiency in long Run)
हालांकि, प्रारंभिक निवेश अधिक है, लेकिन एक बार संयंत्र स्थापित हो जाने के बाद ऊर्जा उत्पादन लागत बहुत कम होती है।
जल संसाधनों का बहु-उद्देश्य उपयोग (Multi- Purpose Water use)
बांधों से ऊंचाई पर जल आपूर्ति और बाढ़ नियंत्रण जैसे लाभ भी प्राप्त होते हैं।
ग्रीन स्थिरता में सहायता (Grid Stability & Peak load Management)
पंप स्टोरेज संयंत्र बिजली ग्रीड को स्थिर रखने और पीक लोड समय में मदद करते हैं।
जल विद्युत की चुनौतियां (Challenge of hydro power)
हालांकि जल विद्युत के कई फायदे हैं, लेकिन इसमें कुछ नुकसान और चुनौतियां भी हैं:

परिस्थितिकालीन प्रभाव (Ecological Impact)
बड़े बांधों के निर्माण से नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे जलीय जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होते हैं।
विस्थापन की समस्या (Displacement of Communities)
बांध परियोजनाओं के कारण स्थानीय लोगों को विस्थापित होना पड़ता है, जिससे सामाजिक समस्या में उत्पन्न होती हैं।
उच्च प्रारंभिक लागत (High Initial Investment)
जल विद्युत संयंत्रों की स्थापना में बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है।
जल परियोजना का प्रभाव (Impact of Climate Change)
सूखा और अनियमित वर्ष के कारण जलाशय में पानी की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
भारत में जल विद्युत की स्थिति (hydro power in India)
भारत में जल विद्युत की विशाल संभावना है देश की कुल जल विद्युत क्षमता लगभग 145000 मेगावाट आंकी गई है, जिसमें से अभी केवल 45000 मेगावाट का ही दोहन किया गया है।
प्रमुख जल विद्युत परियोजना (Major hydro power project in India)

- टिहरी बांध (उत्तराखंड) – 24 मेगावॉट
- भाखड़ा नांगल (हिमाचल प्रदेश) – 3225 मेगावॉट
- सरदार सरोवर बांध (गुजरात) – 1450 मेगावाट
- नाथपा झाकरी (हिमाचल प्रदेश) – 1500 मेगावाट
सरकारी पहला (Government initiatives)
राष्ट्रीय पहाड़ हाइड्रो पावर नीति
छोटी जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहन
निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा।
निष्कर्ष (Conclusion)
जल विद्युत ऊर्जा का एक सतत विश्वसनीय स्रोत है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए संतुलित विकास आवश्यक है। भविष्य में नवीन तकनीकी और बेहतर योजना के साथ जल विद्युत का और अधिक कुशलता का उपयोग किया जा सकता है।
इस प्रकार, जल विद्युत न केवल अच्छा ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।