How can social media be Dangerous for Underaged Kids? (सोशल मीडिया: कम उम्र के बच्चों के लिए एक अदृश्य खतरा)

How can social media be Dangerous for Underaged Kids? (सोशल मीडिया: कम उम्र के बच्चों के लिए एक अदृश्य खतरा)

🏦प्रस्तावना 

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया (Social Media) आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, स्नैपचैट और टिक टॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स ने बच्चों और किशोर को भी अपनी चपेट में ले लिया हैं। जहां एक और एक यह प्लेटफार्म जानकारी, मनोरंजन और जुड़ाव का माध्यम बनते हैं। वहीं यह कम उम्र के बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।

हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, स्नैपचैट और टिक टॉक जैसे प्लेटफॉर्म्स ने बच्चों और किशोर को भी अपनी चपेट में ले लिया हैं। जहां एक और एक यह प्लेटफार्म जानकारी, मनोरंजन और जुड़ाव का माध्यम बनते हैं। वहीं यह कम उम्र के बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।

1️⃣मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव 

(Social Media)

ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी 

लगातार स्क्रीन पर स्क्रोल करने से बच्चों की एकाग्रता शक्ति कमजोर होती है। वे लंबे समय तक किसी कार्य पर ध्यान नहीं दे पाते।

नींद की गुणवत्ता में गिरावट

देर रात तक सोशल मीडिया (Social Media) का उपयोग बच्चों की नींद को प्रभावित करता है। इसे थकावट, चिड़चिड़ापन और स्मृति कमजोर होती है।

डिप्रैशन और एंजायटी 

सोशल मीडिया (Social Media) पर दिखाए जाने वाले आदर्श जीवन और शरीर की छवि से बच्चे खुद की तुलना करते हैं, जिससे आत्म-सम्मान में गिरावट और मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। 

2️⃣सामाजिक व्यवहार में बदलाव 

(Social Media)

फेस टू फेस संवाद में कमी 

स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चे वास्तविक जीवन में बातचीत करने में असहज हो जाते हैं। उनकी भाषा और भाव को समझने की क्षमता घटती है।

आक्रामकता और चिड़चिड़ापन 

सोशल मीडिया (Social Media) पर हिंसात्मक या उत्तर उत्तेजक कंटेंट देखने से बच्चों में गुस्सा और। चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। 

साइबर बुलिंग का खतरा

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों की ट्रोलिंग, धमकी या मजाक का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनका आत्मविश्वास टूटता है।

3️⃣शारीरिक स्वस्थ पर प्रभाव 

(Social Media)

आंखों की समस्या 

लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 

शारीरिक निष्क्रियता 

सोशल मीडिया (Social Media) की लत बच्चों को आउटडोर खेलों से दूर कर देते हैं, जिससे मोटापा और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है। 

खान-पान और अनियमितता 

स्क्रीन के सामने खाना खाने की आदत बच्चों को अस्वस्थ बनाती है और पाचन तंत्र पर असर डालती हैं।

4️⃣भावनात्मक अस्थिरता 

(Social Media)

असली और नकली जीवन में भ्रम 

सोशल मीडिया (Social Media) पर दिखाए जाने वाले जीवन की झूठी चमक से बच्चे भ्रमित हो जाते हैं। जब वास्तविक जीवन वैसा नहीं होता, तो वे निराश हो जाते हैं। 

फॉलोअर्स और लाइक्स का दबाव 

बच्चों को लगता है कि उनकी लोकप्रिय लाइक्स और फॉलोअर्स से तय होती है। इससे वे आत्ममूल्यांकन गलत तरीके से करने लगते हैं।

अकेलापन और अलगाव 

सोशल मीडिया पर जुड़ाव के बावजूद बच्चे वास्तविक जीवन में अकेलापन महसूस करते हैं।

5️⃣शिक्षा पर प्रभाव 

(Social Media)

पढ़ाई में ध्यान की कमी 

सोशल मीडिया (Social Media) की लत पढ़ाई से ध्यान भटका देती है। बच्चे होमवर्क या परीक्षा की तैयारी में लापरवाह हो जाते हैं। 

ज्ञान की सतही समझ 

सोशल मीडिया पर मिलने वाली जानकारी अक्सर अधूरी या भ्रामक होती है, जिससे बच्चों की समझ कमजोर होती है।

6️⃣कानूनी और नैतिक खतरे 

(Social Media)

गोपनीयता का उल्लंघन 

बच्चे अनजाने में अपनी निजी जानकारी साझा कर सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती हैं। 

अनुचित कंटेंट तक पहुंचे 

कई बार बच्चे ऐसे कंटेट तक पहुंच जाते हैं जो उनकी उम्र के लिए उपयुक्त नहीं होते – जैसे हिंसा, अश्लीलता या नफरत फैलाने वाला कंटेंट।

ऑनलाइन शोषण का खतरा 

सोशल मीडिया (Social Media) पर बच्चों को गलत इरादों वाले लोग निशाना बना सकते हैं, जिससे यौन शोषण या मानसिक उत्पीड़न की आशंका रहती है।

7️⃣माता-पिता की भूमिका 

(Social Media)

स्क्रीन टाइम का नियंत्रण 

बच्चों के सोशल मीडिया प्रयोग की समय सीमा तय करें। उदाहरण: 1 दिन में 1 घंटे से अधिक नहीं। 

सक्रिय निगरानी 

बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखे।  कौन से प्लेटफार्म वे इस्तेमाल कर रहे हैं, किससे बात कर रहे हैं। – यह जानना जरूरी है। 

खुलकर संवाद करें 

बच्चों से सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान पर बात करें। उन्हें सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार सिखाए।

वैकल्पिक गतिविधियां प्रदान करें 

बच्चों को आउटडोर खेल, किताबें, कला, संगीत जैसे गतिविधियों में शामिल करें ताकि वे स्क्रीन से दूर रहे। 

स्वयं उदाहरण बने 

माता-पिता खुद सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करें ताकि बच्चे उन्हें सीख सकें। 

🏆निष्कर्ष 

सोशल मीडिया (Social Media) एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन कम उम्र के बच्चों के लिए यह एक दो धारी तलवार की तरह है। यदि इसका उपयोग नियंत्रण और जागरूकता के साथ किया जाए, तो यह लाभकारी हो सकता है। लेकिन यदि बच्चों को बिना निगरानी इसका उपयोग करने दिया जाए तो यह उनके मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। 

माता-पिता, शिक्षकों और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि सोशल मीडिया बच्चों के लिए एक सुरक्षित और सकारात्मक अनुभव बने। इसलिए संवाद, शिक्षा और तकनीकी उपायों का सहारा लेना आवश्यक है।

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