प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद)
उत्तर प्रदेश राज्य के प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक है। इसका नाम बदलकर प्रयागराज रखा गया है, जिसे तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम (त्रिवेणी) के नाम से रखा गया है। यह शहर कई पवित्र धार्मिक स्थलों, के ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्राचीन काल में प्रयागराज को प्रयाग के नाम से जाना जाता था। यह हिंदू मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा द्वारा स्थापित किया गया था और इसका धार्मिक महत्व बहुत उच्च है। मौर्य,गुप्त और मुगल साम्राज्य के समय से इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व बना रहा बना रहा है। मुगल शासक अकबर ने इसे इलाहाबाद नाम दिया था, इसका अर्थ था अल्लाह का बाग।
धार्मिक महत्व
प्रयागराज हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यहां पर हर 12 वर्ष पर कुंभ मिले का आयोजन होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। कुंभ मेला एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयोजन है जिसमें लाखों श्रद्धालुओं और साधु संत गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करते हैं। यह मेला चार स्थानों पर आयोजित होता है – हरिद्वार प्रयागराज, उज्जैन और नासिक।
कुंभ मेला
कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में तीन स्थानों पर होता है। माघ मेला, अर्ध कुंभ और पूर्ण कुंभ। इन मेलों में श्रद्धालु विभिन्न स्थितियों में संगम पर स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं। माना जाता है कि इस पवित्र स्थान से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेले के दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान प्रवचन और आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
प्रमुख स्थान

त्रिवेणी संगम
प्रयागराज का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल त्रिवेणी संगम है, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का संगम होता है। यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य से भी परिपूर्ण है।
अक्षय वट
अक्षय वट एक प्राचीन बट वृक्ष है जो प्रयागराज के किले में स्थित है। इसे अमर माना जाता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
आनंद भवन
आनंद भवन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का निवास था, जिसे अब संग्रहालय में तकदीर कर दिया गया है। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को दर्शाता है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक है। इसकी स्थापना 1897 में हुई थी और यह शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता आ रहा है।
आधुनिक प्रयागराज
आज के प्रयागराज ने आधुनिकता और प्राचीनता का सुंदर संगम बना रखा है। यह शहर शिक्षा प्रशासन और पर्यटन के क्षेत्र में प्रमुख स्थान रखता है। प्रयागराज का कुल आबादी लगभग 1.5 मिलियन है और यह शहर आज भी भारतीय संस्कृतिक धरोहर और धार्मिक महत्व का केंद्र बना हुआ है।
साहित्य और कला
प्रयागराज साहित्यकार कला का भी एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह शहर अनेक प्रसिद्ध साहित्यकारों और कवियों का निवास स्थान है। जैसे की महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन और फिराक गोरखपुरी ने इस शहर में अपने काव्य और साहित्य कार्यों का सृजन किया है।
मेले और उत्सव
प्रयागराज में विभिन्न प्रकार के धार्मिक और संस्कृति उत्सव और मेले मनाए जाते हैं। प्रमुख त्योहारों में होली, दिवाली, दशहरा और मकर संक्रांति शामिल है। इन उत्सवों में शहर के रंगीनता और सांस्कृतिक विविधता देखने को मिलती है।
पर्यटक आकर्षण
नेहरू पार्क
नेहरू पार्क एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक उद्यान है जो शहर के मध्य में स्थित है। यह स्थान परिवारों के लिए एक प्रमुख पिकनिक स्थल है।
सरस्वती घाट
सरस्वती घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां से संगम का मनोहर दृश्य दिखाई देता है यह स्थान धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए प्रसिद्ध है।
परिणाम
प्रयागराज एक ऐसा शहर है, जो प्राचीनता आधुनिकता के संगम को प्रस्तुत करता है। इसके ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक के महत्व ने इसे भारत के प्रमुख शहरों में एक से बनाया है। कुंभ मेले का धार्मिक और सामाजिक प्रभाव इस शहर को और भी विशिष्ट पड़ता है। प्रयागराज न केवल हिंदू धार्मिक स्थलों का प्रमुख केंद्रीय स्थल हैं। साहित्य, कला और संस्कृत का भी प्रमुख केंद्र बना हुआ है, यहां के पर्यटक आकर्षण ऐतिहासिक स्थल को और भी एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं।