सिस्टम AWACS: आकाश में उड़ती एक सुरक्षित आंख
भूमिका
सिस्टम AWACS आधुनिक युद्धक तकनीकी में वायु सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दुश्मनों के हवाई हमले से बचने के लिए देशों को एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता होती हैं जो आकाश में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रख सके। यही पर AWACS (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। AWACS को “आकाश में उड़ती हुई आंख” कहा जाता है, क्योंकि यह हवाई जहाजों, मिसाइलों और अन्य खतरों का पता लगाकर अपनी अपनी सेवा को सतर्क करता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि AWACS क्या हैं, यह कैसे काम करता है, इसके प्रकार, भारत में AWACS की स्थिति और यह कैसे देश की सुरक्षा को मजबूत बनाता है।
AWACS क्या है? (What is AWACS)
सिस्टम AWACS का पूरा नाम “एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम” (Airborne Warning and Control System) है। यह एक विशेष प्रकार का हवाई रडार सिस्टम है जो एक बड़े विमान (जैसे Boeing 707 या IL-76) पर लगा होता है। इसका मुख्य कार्य हवाई और जमीनी खतरों को पता लगाना, उनकी निगरानी करना और अपने सैन्य बलों को निर्देशित करना है।

AWACS विमानों में एक घूमने वाला रडार डोम (Rotodome) होता है, जो लगातार आसपास के वातावरण को स्कैन करता रहता है। यह सैकड़ो किलोमीटर दूर तक के विमानों मिसाइलों और जहाजों को ट्रैक कर सकता है।
AWACS कैसे काम करता है? (How Does AWACS Work)
सिस्टम AWACS कई उन्नत तकनीक का उपयोग करता है, जिसमें शामिल है:

रडार प्रणाली (Radar System)
AWACS में पल्स डॉपलर रडार लगा होता है, जो हवाई और जमीनी लक्ष्यों का पता लगता है। यह रडार 360 डिग्री में घूम कर हर दिशा में नजर रखता है।
डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing)
AWACS में शक्तिशाली कंप्यूटर सिस्टम होते हैं जो रडार द्वारा एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण करते हैं। यह दुश्मनों के विमानों मिसाइलों और अन्य खतरों को पहचान कर उनकी गति, दिशा और दूरी का अनुमान लगाता है।
संचार प्रणाली (Communication System)
AWACS विमान अन्य लड़ाकू विमानों, नौसेना के जहाजों और जमीनी कमांड सेंटर के साथ रियल – टाइम संचार स्थापित करता है। यह सैन्य बलों को लक्ष्य के बारे में सटीक जानकारी देकर उन्हें प्रभावी ढंग से हमला करने में मदद करता है।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता (Electronic Warfare Capability)
AWACS इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेंशन (ECM) और इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स (ESM) का उपयोग करके दुश्मन के राडार और संचार प्रणाली को बाधित कर सकता है।
AWACS के प्रमुख घटक (Key Component of AWACS)

रडार डोम (Rader Doms): विमान के ऊपर लगा घूमने वाला गुंबद, जिसमें एंटीना लगा होता है।
कंप्यूटर सिस्टम (Computer System): डेटा प्रोसेसिंग और विश्लेषण के लिए।
संचार उपकरण (Communication Equipment): सैन्य बालों के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली (Electronic Warfare Suite): दुश्मन के सिस्टम को बाधित करने के लिए।
ऑपरेटर कंट्रोल (Operator Console): टीम द्वारा निगरानी और नियंत्रण के लिए।
AWACS के प्रकार (Types of AWACS)
विश्व में कई देशों ने अपने-अपने सिस्टम AWACS विकसित किए हैं, जिसमें से कुछ मुख्य हैं:

अमेरिका का E-3 सेंट्री (USA – Boeing E-3 Sentry)
यह Boeing 707 विमान पर आधारित है।
नाटो (NATO) और अमेरिका वायु सेवा द्वारा उपयोग किया जाता है।
400 – 500 किलोमीटर की रेंज में लक्ष्यों का पता लगा सकता है।
रूस का A-50 (Russia – Beriev A -50)
IL-76 विमान पर आधारित।
रूसी वायु सेवा द्वारा उपयोग किया गया जाता है।
यह एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड निगरानी करता है।
भारत का नेत्र (india – DRDO Netra)
EMB- 145I विमान पर आधारित।
भारतीय वायुसेना द्वारा प्रयोग किया जाता है।
240 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को पता लगा सकता है।
भारत में AWACS (AWACS in India)
भारत में AWACS तकनीकी को विकसित करने के कई कदम उठाए हैं:

DRDO नेत्र AWACS
2009 में पहला स्वदेशी “नेत्र” विकसित किया गया।
यह ब्राजील के EMB-145I विमान पर आधारित हैं।
3 नेत्र AWACS भारतीय वायु सेवा में शामिल हैं।
भारत इजराइल फाल्कन AWACS (india – israel Phalcon AWACS)
IL-76 विमान पर इजरायली “फाल्कन” रडार लगा है।
400-500 किलोमीटर की रेंज में लक्ष्यों का पता लगता है।
भारत के पास 3 फाल्कन AWACS है।
भविष्य की योजनाएं (Future Plans)
DRDO 6 नए AWACS विकसित कर रहा है, जो एयरबस A330 पर आधारित होंगे।
इसकी रेंज 500 किलोमीटर से अधिक होगी।
AWACS कैसे देश की सुरक्षा करता है? (How to AWACS Protect the Nations)
AWACS देश के सुरक्षा में निम्नलिखित तरीकों से योगदान देता है:

हवाई हमलों पूर्वाअनुमान (Early Warning of Aerial Threats)
दुश्मनों के विमानों और क्रूज़ मिसाइलों का समय रहते पता लगता है।
भारत पाकिस्तान सीमा और चीन की तरफ से आने वाले खतरों के ऊपर नजर रखता है।
लड़ाकू विमान को निर्देशित करता (Guiding Fighter Jets)
AWACS अपने रडार से लक्ष्य का पता लगाकर लड़ाकू विमान में रियल-टाइम डेटा भेजता है।
बालाकोट एयर (2019) स्ट्राइक में सिस्टम AWACS ने भारतीय वायु सेवा की मदद की थी।
नौसेना की सहायता (Naval Support)
AWACS समुद्री सीमाओं पर नजर रखकर दुश्मन के जहाज और पनडुब्बियों का पता लगता है।
साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Cyber & Electronic Warfare)
दुश्मन के संचार और प्रदर सिस्टम को जाम कर सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
सिस्टम AWACS एक अत्यधिक सैन्य प्रणाली है जो देश की सुरक्षा को मजबूत करती है। भारत में इस क्षेत्र में स्वदेशी तकनीकी विकसित करके अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाया है। आने वाले वर्षों में DRDO और भारतीय वायुसेना अधिक शक्तिशाली सिस्टम AWACS विकसित करेंगे। जो देश को हवाई हमलों से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
“सिस्टम AWACS न केवल एक निगरानी प्रणाली है, बल्कि युद्ध के दौरान में एक अक्षय रक्षा कवच है!”