कोहिनूर – द रियल क्राउन 

कोहिनूर – द रियल क्राउन 

कोहिनूर हीरा दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रहस्यमई हीरो में से एक है। यह न केवल अपनी चमक और आकर के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके साथ जुड़े इतिहास, रहस्य और विवादों ने इसे भी खास बना दिया है। कोहिनूर का इतिहास सदियों पुराना है और यह कई शासको, साम्राज्य और देश के हाथों से गुजरा है। आज हीरा ब्रिटिश शहजादी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है, लेकिन इसके पीछे छिपी कहानी बेहद दिलचस्प और कभी-कभी दुखद भी है।

कोहिनूर का अर्थ उत्पत्ति 

कोहिनूर शब्द फारसी शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “रोशनी का पहाड़”। यह नाम इस हीरो की असाधारण चमक और जाकर को दर्शाता है। कोहिनूर हीरे की उत्पत्ति के बारे में कई कीवदतिया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह हीरा भारत के गोलकुंडा की खानों से निकला था, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है। गोलकुंडा की खाने अपने उच्च गुणवत्ता वाले हीरो के लिए प्रसिद्ध थी और कोहिनूर भी उनमें से एक हैं। कोहिनूर – द रियल क्राउन

कोहिनूर का प्रारंभिक इतिहास 

कोहिनूर का इतिहास लगभग 800 साल पुराना है। इसका पहला उल्लेख 13वीं शताब्दी में मिलता है, जब यह हीरा काकतीय वंश के शासको के पास था। कहा जाता है कि इस हीरे को काकतीय राजाओं ने गोलकुंडा की खाने से प्राप्त किया था। बाद में, यह हीरा दिल्ली सल्तनत के हाथों में चला गया।कोहिनूर – द रियल क्राउन

14वी शताब्दी में, दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और कोहिनूर को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद, यह हीरा मुगल साम्राज्य के हाथों में पहुंचा। मुगल बादशाह बाबर ने अपनी आत्मकथा “बाबरनामा” में इस हीरे का उल्लेख किया है। उन्होंने इसे “बाबर का हीरा” कहा और इसे अपनी संपत्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना।कोहिनूर – द रियल क्राउन

मुगल साम्राज्य और कोहिनूर 

मुगल साम्राज्य के दौरान कोहिनूर हीरे का महत्व और बढ़ गया। यह हीरा मुगल बादशाहों की शान और शक्ति का प्रतीक बन गया। शाहजहां ने इसे प्रसिद्ध मयूर सिंहासन में जड़वाया, जो दुनिया के सबसे कीमती और भव्य सिंहासनों में से एक था। मुगलों ने कोहिनूर को न केवल एक गहने के रूप में, बल्कि एक ताकतवर प्रतीक के रूप में भी देखा।कोहिनूर – द रियल क्राउन

कोहिनूर - द रियल क्राउन

हालांकि, मुगल साम्राज्य के पतन के साथ ही कोहिनूर का भाग्य भी बदल गया। 1739 में भारत के शासन नदिया शाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया और मुगल साम्राज्य को लूट लिया। नादिर शाह ने कोहिनूर को अपने कब्जे में ले लिया और इसे फारस ले गया। कहा जाता है कि नदिर शाह ने ही इस हीरो को “कोहिनूर” नाम दिया था।कोहिनूर – द रियल क्राउन

कोहिनूर का अफगानिस्तान और पंजाब में सफर 

नादिर शाह की मृत्यु के बाद, कोहिनूर अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह दुर्रानी के हाथों में पहुंचा। बाद में यह हीरा उनके वंशज शाह शुजा दुर्रानी के पास आया। शाह शुजा ने इसे पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह को सौंप दिया, जिन्होंने इसे अपने खजाने में शामिल किया।कोहिनूर – द रियल क्राउन

महाराणा रणजीत सिंह ने कोहिनूर को अपनी शक्ति और समृद्धि का प्रतीक बनाया। उन्होंने इसे अपनी बाह पर पहना और इसे अपने सबसे कीमती खजाने के रूप में संजोकर रखा। हालांकि, रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद, पंजाब में अशांति फैल गई और कोहिनूर का भाग फिर से बदल गया।

कोहिनूर का ब्रिटिश साम्राज्य में प्रवेश

1849 में, पंजाब पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्जा कर लिया। इसके बाद, कोहिनूर हीरो को लाहौर की संधि के तहत ब्रिटिश साम्राज्य को सौंप दिया गया। यह हीरा ब्रिटिश की महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया और अब से यह ब्रिटिश शहजादी के खजाने का हिस्सा बन गया।कोहिनूर – द रियल क्राउन

ब्रिटेन पहुंचने के बाद, कोहिनूर को दोबारा काटा गया ताकि इसकी चमक और आकर्षण बढ़ सके। इस प्रक्रिया में हीरे का खजाना कम हो गया, लेकिन इसकी सुंदरता और मूल्य में वृद्धि हुई। कोहिनूर को ब्रिटिश ताज में जड़ा गया और यह ब्रिटिश शहजादी कि शान का प्रतीक बन गया।

कोहिनूर से जुड़े विवाद 

कोहिनूर हीरा हमेशा से विवादों में गिर रहा है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों ने इस हीरो पर अपना दावा किया है। भारत ने कई बार ब्रिटिश से कोहिनूर को वापस करने की मांग की है, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस मांगों को ठुकरा दिया।कोहिनूर – द रियल क्राउन

भारत का तर्क है कि कोहिनूर उसकी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर है और इसे वापस किया जाना चाहिए। दूसरी ओर, ब्रिटेन का कहना है कि कोहिनूर को कानूनी तौर पर उन्हें सौंपा गया था और यह उनके खजाने का हिस्सा है।

कोहिनूर का वर्तमान 

आज कोहिनूर हीरा लंदन के टावर ऑफ लंदन में प्रदर्शित है। यह ब्रिटिश शहजादी के ताज की शोभा बढ़ा रहा है और दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि, इसके साथ जुड़े विवाद और मांगे अभी भी जारी हैं।

कोहिनूर की संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व 

कोहिनूर हीरा केवल एक कीमती पत्थर है, बल्कि यह भारत और दुनिया के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हीरा सदियों से शासको की शक्ति, समृद्धि और महत्व महात्मा कक्षाओं का प्रतीक रहा है। इसके साथ जुड़ी कहानियां और किंवदंतियां इसे और भी रोचक बनाती हैं।कोहिनूर – द रियल क्राउन

कोहिनूर का इतिहास हमें यह याद दिलाता है कि धन और शक्ति के पीछे भागने वाले लोगों ने कितने युद्ध और संघर्ष झेले हैं। यह हीरा न केवल एक गहना है, बल्कि यह मानव इतिहास के उतार-चढ़ाव का गवाह है।

गुलाब सिंह के कब्जे में

8 अक्टूबर 1839 को नए साम्राज्य खड़क सिंह को उनके प्रधानमंत्री ध्यान सिंह ने तख्तापलट में उखाड़ फेंका। प्रधानमंत्री के भाई गुलाब सिंह, जम्मू के राजा कोह-ए-नूर के कब्जे में आ गए। बाद में खड़क सिंह की जेल में मृत हो गई, उसके तुरंत बाद 5 नवंबर 1840 को उनके बेटे और उत्तराधिकारी नौ निहाल सिंह की रहस्यमई मौत हो गई। गुलाब सिंह ने जनवरी 1841 तक पत्थर को अपने पास रखा, जब उन्होंने सम्राट से शेर सिंह को अपना पक्ष जीतने के लिए इसे प्रस्तुत किया, तब उनके भाई ध्यान सिंह ने शेर सिंह और अपदस्थ महारानी चांद कौर के बीच युद्ध विराम के लिए बातचीत की। गुलाब सिंह ने दो दिनों के संघर्ष की और शेर सिंह और उनके सैनिकों द्वारा गोलाबारी के दौरान लाहौर के किले में विधवा महारानी का बचाव करने का प्रयास किया था। कोहिनूर सौंपने के बावजूद युद्ध विराम के परिणामस्वरुप गुलाब सिंह खजाने से निकल गए सोने और अन्य रत्नों के साथ सुरक्षित रूप से जम्मू लौट आए.कोहिनूर – द रियल क्राउन

निष्कर्ष

कोहिनूर हीरा अपनी चमक और सुंदरता के साथ अपने इतिहास और रहस्य के लिए भी जाना जाता है। यह हीरा सदियों से कई शासको और साम्राज्यों के साथ के हाथों से गुजरा है और आज भी यह दुनिया के सबसे कीमती हीरो में से एक है। हालांकि, इसके साथ जुड़े विवाद और मांगे इसे और भी खास बनाते हैं।कोहिनूर – द रियल क्राउन

कोहिनूर की कहानी हमें यह सिखाती है कि धन और शक्ति के पीछे भागने वाले लोगों ने कितने युद्ध और संघर्ष झेले हैं। यह हीरा हिरण केवल एक गहना ही नहीं है बल्कि, यह मानव इतिहास के उतार चढ़ाव का गवाह भी है। आने वाले समय में कोहिनूर का भविष्य क्या होगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इसकी चमक और महत्व हमेशा बना रहेगा।कोहिनूर – द रियल क्राउन

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